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बसन्ती रँगवाय दूंगी / ब्रजभाषा
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♦ रचनाकार: अज्ञात
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बसन्ती रंगवाय दूँगी जा लाँगुरिया की टोपी॥
जो लाँगुर तौपै कपड़ा नाँयें, जो लाँगुर तौपे...
कपड़ा तोय दिवाय दूँगी, जा लाँगुरिया की टोपी...॥
बसन्ती रंगवाय दूँगी.
जो लाँगुर तोपे सिमाई नायें, जो लाँगुर,
सिमाई मैं मरवाय दूँगी, जा लाँगुरिया की टोपी...॥
बसन्ती रंगवाय दूँगी.
जो लाँगुर तोपे कुर्ता नायें, जो लाँगुर,
दुपट्टा फारि सिमाय दूँगी, जा लाँगुरिया की टोपी...॥
बसन्ती रंगवाय दूँगी.