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बस तेरे लिए / शशि पाधा

नीलम सी साँझ
चाँदी का चाँद
तारों के दीप
सागर की सीप
जोड़ी है मैंने तेरे लिये
बस तेरे लिये।

कोयल् की कूज
झरनों की गूँज
स्वर्णिम सी भोर
किरणों की डोर
बाँधी है मैंने तेरे लिये
बस तेरे लिये।

छेड़े हैं साज
वीणा के राग
सपनों के मीत
सावन के गीत
गाए हैं मैंने तेरे लिये
बस तेरे लिये।

केसर की गंध
क्षितिज के रंग
सावन का मेह
आँचल में नेह
ओढ़ा है मैंने तेरे लिये
बस तेरे लिये।

फूलों का हास
वासंती आभास
चातक की प्रीत
समर्पण की रीत
चाही है मैंने तेरे लिये
बस तेरे लिये
बस तेरे लिये