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बहना / संजीव 'शशि'
Kavita Kosh से
हरपल मेरे दिल में रहना,
जाते-जाते सुन ओ बहना।।
तुम तो हो दो कुल का गहना,
जाते-जाते सुन ओ बहना।।
एक कोख से जन्म लिया है,
एक साथ में खेले।
एक साथ में धूप-छाँव से,
सुख-दुख हमने झेले।
अब सुख में बीतें दिन-रैना।
डोली में चल बैठ लाड़ली,
दूँ मैं तुझे विदाई।
भरे नयन से दूर कर रहा,
अपनी ही परछाई।
गले लगा फिर भैय्या कहना।
याद बहुत आयेगी तेरी,
जब आयेगा सावन।
तुम्हें खींच लायेगा मुझतक,
पावन रक्षाबंधन।
अपलक राह तकेंगे नयना।