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बहु नायक हौ सब लायक हौ सब प्यारिन के रस को लहिये / रघुनाथ

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बहु नायक हौ सब लायक हौ सब प्यारिन के रस को लहिये ।
रघुनाथ मनैँ नहिँ कीजै तुम्हे जिय बात जु है सु सही कहिये ।
यह माँगति हौँ पिय प्यारे सदा सुख देखिबे ही को हमैँ चहिये ।
इतने के लिये इत आइए प्रात रुचै जहाँ रात तहाँ रहिये ।


रघुनाथ का यह दुर्लभ छन्द श्री राजुल मेहरोत्रा के संग्रह से उपलब्ध हुआ है।