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बांधि के कफनिया / विनय राय ‘बबुरंग’

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पतिया न आइल अबहीं बचवा क सीमवां से
लड़त होइहें सरहद पर बांधि के कफनियां।।

बहुते पियवले बानीं छतिया क दूध आपन
कामे अइहें कहिया रे पूत क जवनियां।।

माई क रक्षा करिहऽ दुसमन के दरी दीहऽ
करिहऽ न चिन्ता कइसे होइहें परनियां।।

पीठिया देखइहऽ जनि भले जाई जनवा हो
झुके मति आपन तिरंगा निसनियां।।

गइल बालऽ सेवा करे देसवा क लाल बनि
सेवा क मेवा मिली देस के रोसनियां।।

छूटी लेके अइहऽ बचवा रखिया बधाई लीहऽ
बहिनी निहारत बाली रहि-रहि दलनियां।।

रहिया निहारे अउरी घर-टोल-महलवा हो
दिनवां गिनत केतने डूबली किरीनिया।।

केतने सुहागिन क सुहाग त उजड़ि जाला
ओ बहिनिन क कोटि-कोटि बाटे सलमियां।।

धन्य माई-बाबू जेकर बेटवा शहीद होला
करेले सलाम झुकि विनय क कलमियां।।