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बाईसवीं सदी के कवि से / राजा खुगशाल
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मौत के बाद
हम वर्णन हो जाएँगे
छपे हुए शब्दों का
कोई अर्थ नहीं होगा तब
तुम तब भी सम्भालोगे
कविता की कतरन ।