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बाक़ी जंजाल का हवाल / संजय चतुर्वेद

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हिन्दी कविता में भक्तिकाल महाकाल हुआ,
बाक़ी जंजाल का हवाल अभी होना है
आधुनिकता के नाम गड़बड़ी हज़ार हुई,
साझा वह भूल थी मलाल अभी होना है
शब्द के दरोग़ा जिसे लीपते रहे हैं उसी,
चिकनी ज़मीन पे वबाल अभी होना है
आधुनिकता का सामान हो गया है मगर,
आधुनिकता का कविकाल अभी होना है ।

1999