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बाड़ / बालकृष्ण काबरा 'एतेश' / कार्ल सैण्डबर्ग
Kavita Kosh से
लेक फ्रण्ट पर अब
स्टोन हाउस का काम पूरा हो गया है
और कामगारों ने
बाड़ बनाना शुरू कर दिया है।
बाड़ में
इस्पाती नोकों वाली
लोहे की सलाखें हैं
जो इन पर गिरने वाले व्यक्ति में
घुसकर छीन सकती हैं जीवन।
बाड़ के रूप में यह एक श्रेष्ठ रचना है
और रोकेगी यह आमजनों और
सभी आवारा व भूखे लोगों
और खेलने के लिए जगह ढूँढ़ते सभी भटकते बच्चों को।
सलाखों और इस्पाती नोकों पर से
जाने वालों को मिलेगा कुछ नहीं
बस, मृत्यु, दुख की बारिश और निर्जीव कल।
मूल अँग्रेज़ी से अनुवाद : बालकृष्ण काबरा 'एतेश'