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बातें न करो हँसकर हम अर्थ लगा लेंगे / कैलाश झा 'किंकर'
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बातें न करो हँसकर हम अर्थ लगा लेंगे
आँखें न मिला हमसे आँखों में बसा लेंगे
ये झुकी-झुकी-सी आँखें हमसे जो पूछती हैं
लाचार हुये ग़र हम हर बात बता देंगे।
देखो न हमें छुपकर धड़कन न बढ़ा दिल की
ऐ हुस्न तुझे झुककर पलकों पर बिठा लेंगे।
जुल्फ़े न कभी लहरा बदली न कहीं छाए
रोके न रुके दिल तो उल्फ़त की सज़ा देंगे।
माथे की जो बिन्दी है उससे भी ज़रा कह दो
गर चैन चुराया तो हम नींद चुरा लेंगे।