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बात चलै की चली जबतेँ तबतेँ चले काम के तीर हजारन / दास

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बात चलै की चली जबतेँ तबतेँ चले काम के तीर हजारन ।
नीँद औ भूख चली तबतेँ अँसुवा चले नैननि ते सजि धारन ।
दास चली करतेँ बलया रसना चली लँकतेँ लागि अबारन ।
प्रान के नाथ चले अनतेँ तनतेँ नहीँ प्रान चले केहि कारन ।

दास का यह दुर्लभ छन्द श्री राजुल मेहरोत्रा के संग्रह से उपलब्ध हुआ है।