बात जब भी कहीं चली होगी
तुमको मेरी कमी खली होगी
ख़्वाब आँखों में जी रहे होंगे
दिल में तेरे भी खलबली होगी
तेरी साँसों से मैं महकता हूँ
इत्र जैसी तेरी गली होगी
भर गई होंगी आँखों में यादें
शाम चुपके से जब ढली होगी
जल गये होंगे सारे परवाने
कोई शम्मा अगर जली होगी