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बादल आए / सभामोहन अवधिया 'स्वर्ण सहोदर'
Kavita Kosh से
सब आसमान में हैं छाए,
बादल आए, बादल आए!
घर-घर, घर-घर, घर-घहर-घहर
सब तेज हवा में लहर-लहर,
सब हहर-हहर, सब भहर-भहर
कुछ झट-झट-झट, कुछ ठहर-ठहर,
सब के सब सिर पर मँडराए
बादल आए, बादल आए!
आपस में सब के सब लड़-लड़
करते भड़ भड़, होते धड़-धड़
पानी बरसाते पड़ पड़-पड़
बूँदें टपकाते झड़ झड़-झड़
धाए झल्लाए, खिसयाए
ये मतवाले बादल आए!
करते घम-घम, करते घम-घम
बिजली चमकाते चम-चम-चम,
हल्ला गुहार करते कड़-कड़
कुछ गाज़ गिराते तड़ तड़ तड़,
करतूत अनोखी अपनाए
ये मनमौजी बादल आए!
नहलाते सबको हर-हर-हर
करते जलती धरती को तर,
उफनाते ताल, नदी, नाले
न्यारे-न्यारे, काले-काले
सातों समुद्र भर भर लाए
ये उमड़-घुमड़, बादल आए!