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बादल जी देते हैं पानी / गिरीश पंकज
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बादल जी देते हैं पानी
सूखी ताल-तलैया हँसती,
ख़ुश है देखो बस्ती-बस्ती ।
कोई भाग रहे न सूखा,
बिजली आकर देती गश्ती ।
सबको सुख पहुँचाने वाले,
कहलाते हैं सच्चे दानी ।
बादल जी देते हैं पानी ।।
पानी से हरियाली होगी,
धरती में ख़ुशहाली होगी ।
कहीं नहीं फिर ‘सूखा’ होगा,
हर होठों पर लाली होगी ।
बात पते की सुन लो भइया,
समझते हैं सबको ज्ञानी।
बादल जी देते हैं पानी