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बादल / महेन्द्र भटनागर
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ये घनघोर बरसते श्यामल-बादल !
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निर्भय नभ में उमड़-घुमड़ कर छाए,
देख धरा ने नाना रूप सजाए,
स्वागत करने नव-वृक्ष उमग आए,
पल्लव-पल्लव में आज मची हलचल !
ये घनघोर बरसते श्यामल-बादल !
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नदियाँ जल से पूर गयीं मटमैली,
गिट्टक-टिल्लू ने मिल होली खेली,
हाथों में कागज़ की नावें ले लीं,
सड़कों पर पानी, गलियों में दलदल !
ये घनघोर बरसते श्यामल-बादल !
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तालों पर मेंढ़क करते टर-टर-टर,
दीपक पर दीमक़ उड़ती फर-फर-फर,
आओ झूला झूलें जी भर-भर कर,
सुख पाएँ वर्षा का सब बाल-सरल !
ये घनघोर बरसते श्यामल-बादल !