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बाबा केर अंगना चानन गाछ उगल तरेगन रे / मैथिली लोकगीत

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मैथिली लोकगीत   ♦   रचनाकार: अज्ञात

बाबा केर अंगना चानन गाछ उगल तरेगन रे
ललना रे ताहि अवसर होरिला जनम लेल पुत्र बड़ सुन्दर रे
भनसा करैत अहाँ सासु कि सेहो हंसि पूछथि रे
ललना रे पुतहु कओन-कओन फल खयलहुँ पुत्र बड़ सुन्दर रे
पहिने खयलहुँ नारिकेर तखन छोहारा रे
ललना रे तखन खयलहुँ दाड़िम फड़ पुत्र बड़ सुन्दर रे
मचिया बैसलि तोहें गोतनो कि सेहो हंसि पूछथि रे
गोतनो हे कौने व्रत तोहें कयलह कि पुत्र बड़ सुन्दर रे
गंगा पैसि नहयलहुँ हरिवंश सुनलहुँ रे
ललना रे कयलहुँ जे रवि उपवास कि पुत्र बड़ सुन्दर रे
घरबा नीपैते आहे ननदो कि सेहो हंसि पूछथि रे
भउजी हे ककरा-ककरा संग तों गेलह कि पुत्र बड़ सुन्दर रे
पहिने जे गेलहुँ देओर संग तखन ननदोसि संग रे
ललना रे तखन जे गेलहुँ पिया संग तेँ पुत्र बड़ सुन्दर रे
जे इहो सोहर गाओल गाबि सुनाओल रे
ललना रे तिनको बास बैकुण्ठ से पुत्र फल पाओत रे