भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

बाबा साहेब कै महिमा महान सखी / बोली बानी / जगदीश पीयूष

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

बाबा साहेब कै महिमा महान सखी
जानत कुल जहान सखी ना
गै गुलामी बेमियादी
आई देसवा मा अजादी
हमरे देसवा का दिहिनि संविधान सखी
जानत कुल जहान सखी ना

हमहू पियब जूड़ पानी
हमरी बात जाई मानी
हमहू ऊंच होइकै छुअब आसमान सखी
जानत कुल जहान सखी ना

खाली वाट नाहीं द्याब
हकु न मिलिहै छीनि ल्याब
उनके ब्वाल बनिगे आज धनुष बान सखी
जानत कुल जहान सखी ना

जगिहैं सगरे बहिन भाई
करबै जुलुम पर चढ़ाई
हमरे फूस तरे आई अब बिहान सखी
जानत कुल जहान सखी ना

हमरे दर्द कै दलाली
कर्ति घूमैं जी कुचाली
धीरे धीरे उनका हमहू गयेन जान सखी
जानत कुल जहान सखी ना

अबहू बाकी बहुतु काम
अबही करब ना आराम
अबही समुहे ठाढ़ केत्ते इम्तिहान सखी
जानत कुल जहान सखी ना
बाबा केरी बात मानि
हमरी दुनिया जगमगानि
उइ हैं हमरी आन बान औरु सान सखी
जानत कुल जहान सखी ना