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बाया हुनर मेन होशियार है / मधुसूदन साहा
Kavita Kosh से
बया हुनर में होशियार है
सबसे अच्छा शिल्पकार है।
घास-फूस से नीड़ बनाता
तरह-तरह से उसे सजाता
नीचे संकरी गली पार कर
ऊपर के कमरे में जाता।
जड़ देता है जुगनू उसमें
अजब अनोखा कलकार है।
गाँव किनारे पोखर तट पर
बरगद की डाली से लटके
चलती हवा तनिक तेजी से
सभी घोंसले खाते झटके
भय से साँस फूलने लगती,
प्राण काँपता लगातार है।
लगता आज बिखर जाएँगे
बच्चे कहाँ-किधर जाएँगे?
आँधी, अंधड़ और तबाही
शायद सभी इधर आएँगे
आशंका सुख-चैन छीनती
यही ज्ञान का सूत्र-सार है।