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बारा मैनौ की छः होली रितु / ओम बधानी

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बारा मैनौ की छः होली रितु, ।
सूणो दिन य कस-कन बितो

चैेत फुलारी डेळ्यों सजाला,बेटुला रम्म-झम्म मैतुड़ा आला ।
बैसाख मेळा थौळौं जौंला,स्ंवाळि पकौंला पापड़ी उमी भड़्यौंला ।।

जेठ पुंगड़्यों औख्खि छ धाण,भक्कु होंदु भारी लगद भमाण ।
ऐगे असाड़ लौंकि कुयेड़ी,स्वामि खुद मा झुरी जिकुड़ी ।।

रूझालु गात सौण धणमण ,अंसधारि टप-टप लगद रणमण ।
भादौं कखड़ी मुंगर्यों कि बार,साग पातैलगुली लकदक हफार ।।

ल्हैगे असूज नौ नवाण,पितरू चढैक तब अफु खाण ।
घर सजौंला तैका चड़ौंला,कातिक बगवाळ भैला नचैंला ।।

फरफरांदु ह्यूंद ल्यैकि मंगसीर एैगे,गैल्याणि हैंसणी मै तरसेंदु रैगे ।
पूस कि राती औख्खि छ स्वामी,घर आवा झट्ट न करा बेकामी ।।

मौ कि मकरैण गंगा नह्यौंला ,देवि देवतौं क दरसन पौंला ।
जिकुड़्यों उलार फगुण ल्हैगे,अबीर गुलाल मुखड़्यौं मनु रंगैगे ।।