भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
बारिश, गिरो ना ! / शुन्तारो तानीकावा / अशोक पाण्डे
Kavita Kosh से
गिरो ना बारिश
उन बिना प्यार की गई स्त्रियों पर
गिरो ना बारिश
अनबहे आँसुओं के बदले
गिरो ना बारिश गुपचुप
गिरो ना बारिश
दरके हुए खेतों पर
गिरो ना बारिश
सूखे कुओं पर
गिरो ना बारिश जल्दी
गिरो ना बारिश
नापाम की लपटों पर
गिरो ना बारिश
जलते गाँवों पर
गिरो ना बारिश भयँकर तरीके से
गिरो ना बारिश
अनन्त रेगिस्तान के ऊपर
गिरो ना बारिश
छिपे हुए बीजों पर
गिरो ना बारिश हौले-हौले
गिरो ना बारिश
फिर से जीवित होते हरे पर
गिरो ना बारिश
चमकते हुए कल की ख़ातिर
गिरो ना बारिश आज!
अँग्रेज़ी से अनुवाद : अशोक पाण्डे