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बारिश का मौसम / दीनदयाल शर्मा
Kavita Kosh से
बारिश का मौसम है आया ।
हम बच्चों के मन को भाया ।।
'छु' हो गई गरमी सारी ।
मारें हम मिलकर किलकारी ।।
काग़ज़ की हम नाव चलाएँ ।
छप-छप नाचें और नचाएँ ।।
मज़ा आ गया तगड़ा भारी ।
आँखों में आ गई खुमारी ।।
गरम पकौड़ी मिलकर खाएँ ।
चना चबीना खूब चबाएँ ।।
गरम चाय की चुस्की प्यारी ।
मिट गई मन की ख़ुश्की सारी ।।
बारिश का हम लुत्फ़ उठाएँ ।
सब मिलकर बच्चे बन जाएँ ।।