भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
बार-बार मत बोलो / बैर्तोल्त ब्रेष्त / उज्ज्वल भट्टाचार्य
Kavita Kosh से
बार-बार मत बोलो, शिक्षक महोदय कि तुम्हारी बात ठीक है !
छात्र को समझने दो !
सच्चाई को ज़्यादा मत खींचो :
वह बर्दाश्त नहीं कर पाएगी ।
बोलते समय सुनो भी !
मूल जर्मन भाषा से अनुवाद : उज्ज्वल भट्टाचार्य