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बालपणो / कुंदन माली
Kavita Kosh से
बाल़पणै री छूटी बस्ती
बाल़पणै री छूटी मौज
बाल़पणै री रूठी माया
बाल़पणै री भागी फौज़
बाल़पणै रा हिया-मुल़कणां
बालपणै री जबरी सोच
मोटपणो तो गांगो तेली
बाल़पणो तो राजा भोज
बाल़पणो तो है गंगाजल़
मोटपणो तो मिरगांछांव
बाल़पणो तो छांव-चिड़कली
मोटपणो लुटियोड़ो गांव
चालौ चालौ आपां चालां
सुखी नींद री गैरी छांव
चालौ चालौ आपां चालां
कुंण ठैरे लुटियोड़ै गांव