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बाव बहेले पुरवइया मोरे लेखे बैरन हे / भोजपुरी

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बाव बहेले पुरवइया मोरे लेखे बैरन हे,
आरे पियवा सूतले सुख नीनिया, जगउले न जागे।
भोर भइले भिनसहरा, कोइलिया एक बोले,
आरे उठ मोरे नाथ बएल खोले, हम्मे सुन्नर पानी भरे हे।।१।।
आठ-काठ कर कुँअवा सुन्नर धनि पानी भरे।
आरे, हथिया चढ़ले महाउथ, बीचवा ललन बइठे।
पानी के पिआसल छैला पानी पी, नैना देखी जनि भुलु हे।
आरे, तोहरे अइसन पिअवा पातर, लवँगी बनिज गइले।।२।।