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बास्केट बाल / भारतेन्दु मिश्र
Kavita Kosh से
वील चेयर से
बास्केट बाल खेलते हुए
बच्चे खिलखिला रहे हैं
दूसरे बच्चे से छीनकर
मोहन गोल पोस्ट में
बाल डालने में सफल हुआ
अब वह खेल रहा है पूरे मन से
उसे अपनी दिव्यांगता को गढ़ा है
क्षमता के व्याकरण से
वो खुश होकर नाच रहा है
लट्टू सा अपनी वील चेयर पर
उसकी खुशी को
मानो आसमान में
कोई परिंदा बाँच रहा है।