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बाहर ना आओ घर में रहो तुम नशे में हो / बशीर बद्र
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बाहर ना आओ घर में रहो तुम नशे में हो
सो जाओ दिन को रात करो तुम नशे में हो
दरिया से इख्तेलाफ़ का अंजाम सोच लो
लहरों के साथ साथ बहो तुम नशे में हो
बेहद शरीफ लोगो से कुछ फासला रखो
पी लो मगर कभी ना कहो तुम नशे में हो
कागज का ये लिबास चिरागों के शहर में
जरा संभल संभल कर चलो तुम नशे में हो
क्या दोस्तों ने तुम को पिलाई है रात भर
अब दुश्मनों के साथ रहो तुम नशे में हो