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बिछुए / अविनाश मिश्र
Kavita Kosh से
वे रहे होंगे
मैं उनके बारे में ज़्यादा नहीं जानता
मैं उनके बारे में जानना नहीं चाहता
उनके बारे में जानना स्मृतियों में व्यवधान जैसा है