Last modified on 22 जून 2017, at 15:12

बिजलियों के पंख लेकर मैं नहीं उड़ता / शिवशंकर मिश्र

बिजलियों के पंख लेकर मैं नहीं उड़ता
चल दिया जिस राह, उस से भी नहीं मुड़ता
सोचता हूँ जो कभी कुछ टूट जाता है
लाख जोड़ो भी, मगर वह फिर नहीं जुड़ता