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बिरखा राणी / कन्हैया लाल सेठिया
Kavita Kosh से
आवै चढ बादळ री डोली
पी’रै बिरखा राणी !
साव सूखगी धरती मायड़
कर बेटी री ओळयूं
पून भायली भागी आई
कयो कळाप करो क्यूं ?
बा आई लाडेसर थांरी
करो हरख अगवाणी,
राम धणख रो हार गलै में
सतरंगो अणमोलो ,
दम दम दमकै घणो सोवणो
बिजली रो करलोळो,
छम छम बाजै छांटां पायल
लागै भली सुहाणी
बाथ घाल, बिरखा स्यूं लिपटी
जामण, हेत अणूंतो,
ऊळी दुख स्यूं दाझी काया
जाग्यो सपनो सूतो,
मोर टहुक्या वन बागां में
निरभै छतरी ताणी !