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बिहानकऽ सुरुज / श्रीस्नेही
Kavita Kosh से
लाल लाल लहकलऽ आबै सुरुज हो,
कि रंगी गेलै, क्यारी-बारी रतनारी...कि रंगी...
रंगलऽ महल-काली-दुर्गा के थान हो!
झाड़पात-गाँव लाल छप्पर-बथान हो!!
कि पिन्ही नाचै धरती छापादार साड़ी...कि रंगी...
डारडार लाल टेस नरुआ के टाल हो!
ऐंगनऽ ओसरऽ लाल मोरी गोलगाल हो!!
कि जेना रंगै पोरी लॉन मतबारी...कि रंगी...
खेतऽ-किसान लाल हरऽ पालऽ लाल हो!
बरदा के पुट्ठऽ लाल पैनऽ होलै लाल हो!!