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बीघोड़ी / रेंवतदान चारण
Kavita Kosh से
धरती नै सींचां म्है तौ लोहीड़ै री धार
इतरी कीकर मांगै ओ बीघोड़ी सरकार?
छाळा पड़ग्या सूड़ करता, हाथां आई-ठांण
कम्मर हुयगी बेवड़ी जी करतां निदांण
तोई कीकर मांगै औ बीघोड़ी सरकार?
पांणत करै पांणतियौ रै सियाळै री रात
छुल गई चांमड़ी, चिरीज गया हाथ
पच्छै कीकर मांगै औ बीघोड़ी सरकार?
खेत खड़ां हळ बीजां, पांणी बांधां पाळ
हिवड़ै सूं मूंघी राखां खेती नै रूखाळ
जणै कीकर मांगै औ बीघोड़ी सरकार?
नैना नैना टाबरां रौ मन बिलमाय
आधी आधी भूख काडां पांणीड़ौ ई पाय
तोई कीकर मांगै औ बीघोड़ी सरकार?
होळी नै दीवाळी आवै तीज रौ तिंवार
नवै दिन निरणी रैवै जापै सूती नार
पच्छै कीकर मांगै औ बीघोड़ी सरकार?
धरती नै सींचां म्हैं तौ लोहीड़ै री धार
इतरी कीकर मांगै औ बीघोड़ी सरकार?