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बीज अर धरा / ॠतुप्रिया

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बीज आवै
आपरै रूप में
धरा री
देह सूं बारै
तद ई
पत्थरां री
पक्की भींतां बिचाळै
देखां
हरियल रूंख।

धरा अंगेजै
सींचै
दिखावै आपरी माया
अर सिखावै
जीणै रौ ढंग।