भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
बीज / रामकृष्ण पांडेय
Kavita Kosh से
(बीज / रामकृष्ण पांडेय से पुनर्निर्देशित)
अपने को खोल रहा है बीज
अब तक धरती के गर्भ में पला
सूरज से मिला उसे स्नेहभरा ताप
अभी-अभी अंकुराया है हरापन
जैसे माँ की गोद से
नवजात शिशु फेंक रहा हो
दृष्टि इधर-उधर