भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
बीते दिन कब आनेवाले / हरिवंशराय बच्चन
Kavita Kosh से
बीते दिन कब आने वाले!
मेरी वाणी का मधुमय स्वर,
विश्व सुनेगा कान लगाकर,
दूर गए पर मेरे उर की धड़कन को सुन पाने वाले!
बीते दिन कब आने वाले!
विश्व करेगा मेरा आदर,
हाथ बढ़ाकर, शीश नवाकर,
पर न खुलेंगे नेत्र प्रतीक्षा में जो रहते थे मतवाले!
बीते दिन कब आने वाले!
मुझमें है देवत्व जहाँ पर,
झुक जाएगा लोक वहाँ पर,
पर न मिलेंगे मेरी दुर्बलता को अब दुलरानेवाले!
बीते दिन कब आने वाले!