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बुरे दिन आ रहे हैं / संजय चतुर्वेदी
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क्रान्तियाँ रोकने का एक ही तरीक़ा है
पुतले पैदा करो
ख़ुद क्रान्ति की बातें शुरू कर दो
रियायतों के बीच रियासतें पलती रहें
बुरे दिन आ रहे हैं
ईश्वर को याद करो
चुटकुले में ख़त्म कर दो सच्चाईयाँ
जहाँ नहीं नकली मुद्दे
वहीं होंगी क्रान्तियाँ।