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बुलबुल / सरोजिनी कुलश्रेष्ठ

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तुम बुलबुल हो या श्यामा हो
चिड़िया हमे बताओ तो
फुदक फुदक डाली-डाली पर
गाना हमे सुनाओ तो
पंख तुम्हारे है मटमैले
तो क्या तुम गौरैया हो
लेकिन सिर के ऊपर कलगी
तो क्या बुलबुल बढ़िया हो
सुबह सुबह जब शोर मचाती
मैं सुनकर जग जाती हूँ
छत पर बैठी-बैठी तुमको
देख बड़ा सुख पाती हूँ
उड़ना सीखूँ तुम-सा गाऊँ
यही चाहती रहती हूँ