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बुलावा / नाजी ‘मुनव्वर’
Kavita Kosh से
घने मकानों से होते हुए मैं
नए, किराये के कमरे में गया
वह स्टोव जला रही थी,
मैंने धीरे-से आलू, प्याज़ और
मिट्टी का तेल ताक पर रख दिया।
आ गए़......? <ref>उसने पूछा</ref>
मैं चौंक उठा।
कौन....?
वह उठ खड़ी हुई
जेैसे हम दोनों रँगे हाथों पकड़े गए हों
मैं ताक की ओर चला गया
ताकि भाग सकूँ
मगर उससे पहले ह ीवह
जा चुकी थी।
शब्दार्थ
<references/>