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बुल्ले शाह की सीहरफी - 2 / बुल्ले शाह

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अलफ - आपणे आप नूँ समझ पहले,
किस वास्ते है तेरा रूप प्यारे।
बाझ आपणे आप दे सही कीते,
रहेओं विच्च दसौरी दे दुःख भारे।
होर लक्ख उपाओ ना सुक्ख होवे,
पुच्छ सिआणे ने जग्ग सारे।
सुक्ख रूप अखंड चेतन हैं तूँ,
बुल्ले शाह पुकारदे वेद चारे।

बे - बन्ह अक्खीं अते कन्न दोवें,
गोशे<ref>अलग जगह</ref> बैठ के बात विचारीए जी।
छड्ड सिआणपाँ जग्ग जहान कूड़ा,
कहेआ आरफाँ दा दिल धारीए जी।
पैरीं जा जंजीर बे खाइशी दे,
ऐस नफस<ref>मोह-माया</ref> नूँ कैद कर डारीए जी।
जान जान देवें जान रूप तेरा,
बुल्ले शाह एह खुशी गुज़ारीए जी।

ते - तंग छिद्दर<ref>संकीर्ण</ref> नहीं विच्च तेरे,
जित्थे कक्ख ना इक्क समावंदा है।
ढूँढ़ वेख जहान दी ठौर<ref>थाह</ref> कित्थे,
अन हुंदड़ा<ref>अनहोनी</ref> नजरीं आँवदा है।
जिवें ख्वाब दा खयाल होवे सत्तिआँ नूँ,
तराँ तराँ दे रूप विखालदा है।
बुल्ला शाह ना तुध थीं कुझ बाहर,
तेरा भरम तैनूँ भरमाँवदा है।

से - समझ के बैठ जहान अंदर,
तूँ ताँ कुल इसरार जहान दा है।
तेरे डिठिआं दिसदा सभ कोई,
नहीं कोई ना किसे पछाणदा है।
तेरा खयाल एहो हर तराँ दिसे,
जिवें बाल बेताल कर जाणदा है।
बुल्ले शाह फाहे तौण बावरे नूँ,
फसे आप आपे फाही ताणदा है।

जीम - जीवणा भला कर मन्निआँ तैं,
डरें सरन थीं एह अगयान भारा।
इक्क तूँ ही ताँ जिन्द जहान दी हैं,
घटा कासे जूँ मिलें सभ माहों न्यारा।
तेरे जेहा ना दूसर कोई,
आदि अंत बाझों लगे सदा प्यारा।
बुल्ला शाह सँभाल तूँ आप ताईं,
तूँ ताँ अमर हैं सदा नहीं मरन वाला।

चे - चानणा कुल जहान दा तूँ,
तेरे आसरे होएआ व्योहार सारा।
तूँ ही सभ की आँख मैं वेखदा हाँ,
तुझे सज्झद<ref>सझरा</ref> चानणा और अँधारा।
नित्त जागणा सोवणा खाब सेती,
एह ते होए अग्गे तेरे कई वारा।
बुल्ला शाह प्रकाश सरूप तेरा,
घट्ट वद्ध ना हो तूँ इक्क सारा।

हे - हिरस<ref>लालच</ref> हैरान कर सुट्टिआ तूँ,
तैनूँ अपणा आप भुलाया सू।
पातशाहिओं सुट्ट कंगाल कीता,
कर लक्ख तों कक्ख वखया सू।
मध मत्तड़े<ref>मस्त</ref> शेर नूँ तंद कच्ची।
पैरीं पा के बन्ह बहाया सू।
बुल्ले शाह तमासड़ा होर वेक्खो,
लै समुन्दर नूँ कुजड़े पाया सू।

खे - ख़बर ना आपणी रक्खदा ऐं,
लग्ग खयाल दे नाल तूँ खयाल होएआ।
ज़रा खयाल नूँ सुट्ट बे खयाल हो तूँ,
जिवें रहे ना उठ्ठ जागिया ना सोएआ।
तदों देख खाँ अंदरों कौण जागे,
नहीं घास में छुप हाथी खलोएआ।
बुल्ला शाह जो गले दे विच्च गहणा,
फिरे ढूँढदा तिवें मैं आप खोहिआ।

दाल - दिलों दिलगीर ना होएँ मूलों,
दूजी चीज ना पैदा तहकीक कीजे।
अव्वल जाँ सहुबत करे आशकाँ दी,
सुखन तिन्हाँ दे आबे-हयात पीजे।
चश्म जिगर हो मलन हो रहे तेरे,
नहीं सूझता तिन्हाँ को साफ कीजे।
बुल्ला शाह सँभाल तूँ आप ताईं,
तेहैं एक अनंद में सदा जी जे।

जाल - ज़रा नाँ सुक्क तूँ रक्ख दिल ते,
हो बे शक तू हैं खुद खसम जाईं।
जिवें सिंघ भुलाए बल आपणे नूँ,
चरे घास मिल अजान साईं।
पिच्छों समझ बल गरजिओं अजामारे,
भएआ सिंघ दा सिंघ कुझ भेद नाहीं।
तैसी तूँ भी तराँ कुछ अबर धारे,
बुल्ला शाह सँभाल तूँ आप ताईं।

रे - रंग जहान दे देखदा हैं,
सोहणे बाझ दीदार दे दिसदे नीं।
जिवें होत हबाब बहुरंग दे जी,
अंदर आब<ref>दरिया</ref> दे जरा विच्च फिसदे नीं।
आब खाक आतश बात भए इकट्ठे,
देख अज के कल्ल विच्च खिसकदे नीं।
बुल्ला शाह सँभाल के वेख खाँ तूँ,
दुःख सुक्ख सभे एह किसदे नीं।

जे - ज़ोर नहीं जाणे आवणे दा,
ओत्थे कोह वाँग हमेश अडोल है सी।
जिवें बद्दलाँ दे तले चंद चलदा,
लग्गा बालकाँ नूँ वड्डा भोल है सी।
चल्ले मन इन्दरी प्रान दे आदिक,
दिसे देखणेहार अडोल है सी।
बुल्ला शाह सँभाल खुशहाल है जी,
ऐन आरफाँ दा एहो बोल है जी।

सीन - सितम करना ऐं जान अपणी ते,
भुल्ल आप थीं होर कुझ होवणा जी।
सोईओ लिखिआ शेअर चितेरिआँ<ref>झमेला</ref> ने,
सच्च जाा के बालकाँ रोवणा जी।
जरा सैल नहीं वेख भुलना ऐं,
लग्गा चिकड़ों जान क्यों धोवणा जी।
बुल्ला शाह जंजाल<ref>कातब</ref> नहीं मूल कोई,
जाण बुज्झ के भुल्ल खलोवणा जी।

शीन - शुबहा नहीं कोई ज़रा इस में,
सदा अपणा आप सरूप है जी।
नहीं ज्ञान अज्ञान की ठौर ऊहा,
कहाँ सूरमें छाओं और धूप है जी।
पड़ा सेज है माहिमैं सही सोया,
कूड़ा सुखन कारंग अरूप है जी।
बुल्ला शाह सँभाल जब मूल देक्खाँ,
ठौर ठौर मैं आप सरूप है जी।

सुआद - सबर करना आया नबी उत्ते,
देख रंग ना दिल डोलाईए जी।
सदा तुखम दी तरफ निगाह करनी,
पात फूल की ओर ना जाईए जी।
जोई आए और अटक रहे नाहीं,
सो कौण दानश<ref>सूझवान</ref> जीव लाईए जी।
बुल्ला शाह सँभाल दुःख खंड चाखी,
जिसे दुःख फल तिसे क्यों खाईऐ जी।

जुआद - ज़रूर मगरूर को छोड़ दीजे,
नहीं और कुछ एह ही पछानणा ई।
जा सों उट्ठिआ ताँ ही के बीच डाले,
होए अडोल देक्खो आप चानणा ई।
सदा चीज़ ना पैदा हो देखीए जी,
मेरे मेरे कर जीअ मैं जानणा ई।
बुल्ला शाह सँभाल तूँ आप ताईं,
तूँ ताँ सदा अनंद मैं छानणा ई।

तोए - तौर महबूब दा जिन्हाँ डिट्ठा,
तिन्हाँ दूई तरफों मुक्ख मोड़ेआ ई।
कोई लटक प्यारे दी लुट्ट लीती,
हटे नाहीं ऐसा जी जोड़िआ ई।
अठ्ठे पहर मस्तान दीवान फिरदे,
ओहनाँ पैर आलूद<ref>मैला</ref> ना बोझिआ ई।
बुल्ला शाह ओह आप महबूब होए,
शोक यार दे कुफर सभ तोड़िआ ई।

ज़ोए - ज़ाहर जुदा नहीं यार तै थीं,
फिरे ढूँढदा किसनूँ दस्स मैनूँ।
पहिलों ढूँढणे हार नूँ ढूँढ़ खाँ जी,
पिच्छों प्रतच्छ घरे विच्च रस तैनूँ।
मत्त तूँहीएँ होवें आप यार सभदा,
फिरें ढूँढदा जंगलाँ विच्च जिहनूँ।
बुल्ला शाह तूँ आप महबूब प्यारा,
भुल्ल आप थीं ढूँढदा फिरे कीहनूँ?

ऐन - ऐन है आप बिना नुक्ता,
सदा चैन महबूब दिलदार मेरा।
इक्क वार महबूब नूँ देक्खाँ,
और देक्खणे हार है सभ केहड़ा।
उस तों लक्ख वहशत कुरबान कीते,
पहुँचा होए बेगम चकाए जेहड़ा।
बुल्ला शाह हर हाल विच्च मस्त विरदे,
हाथी मत्तडे तोड़ जं़जीरा घेरा।

गै़न - ग़म ने मार हैरान कीता,
अठे पहर मैं प्यारे नूँ लोडींदी साँ।
मैनूँ खावणा पीवणा भुल्ल गिया,
रब्बा मेल जानी हत्थ जोड़दी साँ।
सइआँ छड्ड गइआँ मैं इकल्लड़ी नूँ,
अंग साक नालों नाता तोड़दी साँ।
बुल्ला शाह जब आप नूँ सही कीता,
तब मैं सतड़ी अंग न मोड़दी साँ।

फे - फिकर गिया सइओं मेरीओ नी,
मैं ताँ आपणे आप नूँ सही कीता।
कूड़ी देह सिहुँ नेहों चुकाया मैं
ख़ाक छाण के लाल नूँ फोल लीता।
देख धूहें दे धौलरे<ref>नाशवान</ref> जग्ग सारा,
सुट्ट पाया है जीआ ते हार जीता।
बुल्ला शाह अनंद आखंड सदा,
लक्ख आपणे आप आबे-हयात पीता।

काफ - कौण जाणे जानी जान दे नूँ,
आप जानणेहार एह कुल दा ए।
परतक्ख दी आदि परमान जे ते,
सिद्ध कीते जिस्दे नहीं भुल्लदा ए।
नेत नेत कर बेद पुकारदे नी,
नहीं दूसरा ऐस दे तुल दा ए।
बुल्ला शाह सँभाल जद आप देक्खा,
सदा सहंग<ref>साथ</ref> प्रकाश होए झुलदा ए।

गाफ - गुज़र गुमान ते समझ बैह के,
हंकार दा आसरा कोई नाहीं।
बुद्ध आप संघात चढ़ देखीए जी,
पड़ा कान पखान ज्यों भुम माहीं।
आप आत्मा ज्ञान सरूप सत्ता,
सदा नहीं फिरदा खड़ा एक जाँहीं।
बुल्ला शाह बबेक बिचार सेती,
खुदा छोड़ खुद होए खसम साईं।

लाम - लग्ग आक्खे जाग खा सोया,
जाण बुज्झ के दुःख क्यों पावना ऐं?
ज़रा आप ना हटें बुरेआइआँ तों,
मसले कड्ढ लोक सुणावनाँ ऐं।
काग<ref>कौआ</ref> विष्ट<ref>गन्दगी</ref> जीवन को जाण तजे,
संताँ विखे मोड़ क्यों चित्त लुभावनाँ ऐं।
बुल्ला शाह ओह जानणेहार दिल दा,
करें चोरिआँ साध सदावनाँ ऐं।

मीम - मौजूद है हर जाह मौला,
तिस देख क्या भेख बणाया सू।
जिवें एक ही तुखम<ref>बीज</ref> बहु तराँ दिसे,
तिवें आपणा आप भुलाया सू।
मैह आपणे अपणे खयाल करदा,
नर नार होए चित्त मिलाया सू।
बुल्ला शाह ना मूल थीं कुझ होया,
सो जाने जिसे जनाया सू।

नून - नाम अरूप उठा दीजे पिछ,
असत अर भांत परेआ साँच है जी।
जोई चित्त की चितवनी विच्च आवे,
सोई जान तहकीक कर कार है जी।
तों बिन की बरत काहैं तूँ साक्खी,
तूँ जान रूप में है जी।
बुल्ला शाह जे भूप<ref>राजा</ref> अचल्ल बैठा,
तेरे अग्गे प्रतिकृति का नाच है जी।

वा - वझत एह हक्क ना आवणा ई,
इक्क पलक दे लक्ख करोड़ देवें।
जतन करें ताँ आप अचाह होवें,
तूँ ताँ पहर अठ्ठे विखे रस सेवें।
कूड़ बिपार कर धूड़ सिर मलसें,
चेत्तन्न मन देवें जड़ काच लेवें।
बुल्ला शाह सँभाल तूँ आप ताईं,
तूँ ताँ अनंत लग्ग देह मैं कहाँ मेवें।

हे - हर तराँ होवे दिलदार प्यारा,
रंग रंग दा रूप बणाया ई।
कहूँ आप को भूल रंजूल<ref>दुखी</ref> होया,
कहूँ उरध भरमाए संताया ई।
जदों आपणे आप में प्रगट होया,
सदानन्द<ref>हमेशा खुश रहने वाला</ref> के माहिं समाया ई।
बुल्ला शाह जे आहदे थाँ अत्त सोई,
जिवें नीर मैं नीर मिलाया ई।

अलफ - अज्ज़ बणिआ सभ्भे कच्च मेरा,
शादी गमी थीं पार खलोया मैं।
भया दूर भरम, मरम पाया मैं,
डर काल का जीआ ते खोया मैं।
साध संगत की दया तेभाअ निरमल,
घट घट विच्च तन सुक्ख सोया मैं।
बुल्ला शाह जद आप नूँ सही कीता,
जोई आदि थाँ अंत फिर होया मैं।

ये - यार पाया सइओं मेरीओ नी,
मैं ताँ आपणा आप गुआए के नी।
रही सुध ना बुध जहान केरी,
थक्की बिरत<ref>बिरती</ref> आनन्द मैं आएके नी।
अठ्ठे आम बिसराम ना काम कोई,
धुन ज्ञान की भाह जलाएके नी।
बुल्ला शाह मुबारकाँ लक्ख देवो,
बहीए शांत जानी गल लाएके नी।

शब्दार्थ
<references/>