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बूढ़ा नहीं होता प्रेम / समझदार किसिम के लोग / लालित्य ललित
Kavita Kosh से
पत्थर से
टकराती है आवाज
बार-बार
फिर-फिर पुकारने पर आती है
आवाज
जो पुकारी गई थी
देखो मैंने तुम्हें कितना पुकारा
जीभर कर
मनभर कर
इस दिल से
और
तुम
आज भी धड़क रही हो
इस
दिल में
इससे पता चलता है
प्यार
कभी भी बूढ़ा नहीं होता
वह होता है
जवान सदा
हमेशा
यूं ही