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बूढ़ा पेड़ / गुँजन श्रीवास्तव
Kavita Kosh से
पेड़ बूढ़ा हो चुका था
पहले फलों
फिर पशु - पक्षियों
और आख़िर में कुछ बचे
सूखे पत्तों ने भी छुड़ा लिया था
उसके हाथों से
अपनी उँगलियों को !
उस बूढ़े पेड़ से तोड़कर
अक्सर लाया करती थी माँ
उसकी बची -खुची सूखी लकड़ियाँ
जिससे पकाया जाता था
हम भाई - बहनों के लिए भोजन
माँ उस बूढ़े पेड़ की लकड़ियों
को तोड़ने से पूर्व
उसे सहलाना और गले लगाना नही भूलती
और अक्सर हमसे कहा करती —
तुम्हें याद रखना है, मेरे बच्चो
कि कैसे एक बूढ़े पेड़ ने
अपने बुढ़ापे से
तुम्हें जवान किया है !