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बेटा-बहू का ख़ूब सहारा है इन दिनों / कैलाश झा 'किंकर'

बेटा-बहू का ख़ूब सहारा है इन दिनों
पोता हमारी आँख का तारा है इन दिनों।

बस देश-देश देश किया करते रात दिन
पर देश तो चुनाव का मारा है इन दिनों।

नदियाँ तमाम जाके समंदर से मिल रहीं
बादल तमाम लगता शरारा है इन दिनों।

धोखा हुआ है आपको पतझड़ नहीं यहाँ
हरसू नज़र-नज़र में नज़ारा है इन दिनों।

अपनी ही फ़िक्र में तो गुज़रता है वक़्त पर
पग-पग पर कौन करता इशारा है इन दिनों।

लगता था कल तलक जो सिकंदर जहान का
गर्दिश में उसका कैसे सितारा है इन दिनों।