बेटी पीछे छूट गई तो / सोना श्री
बेटी पीछे छूट गई तो बढ़ेगा कैसे देश l
ऐसे कैसे बदलेगा जी, भारत का परिवेश l
जाने कितनी रोज निर्भया होती हैं लाचार,
दुर्योधन-दुस्सासन जैसे जीवित कई हजार,
कितनी द्रौपदियों के अब भी खुले पड़े हैं केश l
बेटी पीछे छूट गई तो बढ़ेगा कैसे देश l
बंद करो तुम अब दहेज़ व भ्रूण-हत्या का वार,
बेटी को भी बेटों जैसा दो समुचित अधिकार,
सिर्फ नीतियों से नहीं होंगें दूर सुता के क्लेश l
बेटी पीछे छूट गई तो बढ़ेगा कैसे देश l
कहो तुम्ही इस देश की बेटी कैसे है कमजोर,
जहाँ चावला, सिंधु, साक्षी बने देश-सिरमौर,
प्रेम, श्रद्धा का इनपर भी अब कुछ तो करो निवेश l
बेटी पीछे छूट गई तो बढ़ेगा कैसे देश l
खोल दो पिंजर के दरवाजे, बेटी को उड़ने दो,
उनको भी जीवन के पथ पर साथ-साथ बढ़ने दो,
बेटा-बेटी हैं समान यह जग को दो संदेश l
बेटी पीछे छूट गई तो बढ़ेगा कैसे देश l