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बेटी / सुदर्शन प्रियदर्शिनी
Kavita Kosh से
सोचती हूँ
जिस दिन
तेरे मन के
आंगन मैं
सूरज का पुरोहित
पूरी पिचकारी
भर कर
तुझ पर उड़ेल देगा
अपने रंगों का
अबरक भरा
झिलमिलाता गुलाल ...
उस दिन
मेरे आंगन में
नया सूरज
उग जाएगा ...