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बेमज़ा सी मेरी जिंदगी रह गयी / रंजना वर्मा
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बेमज़ा सी मेरी जिंदगी रह गयी
सारी उम्मीद दिल मे दबी रह गयी
बेवफ़ा तुम नहीं बेवफ़ा हम नहीं
फिर ये दूरी भला क्यों बनी रह गयी
तुम गये छोड़ के यूँ अकेली मुझे
आँख में अब मेरे बस नमी रह गयी
साँस थकने लगी टेरते टेरते
रब मिला ही नहीं बन्दगी रह गयी
चाँदनी चाँद दोनों हुए बेरहम
साथ देने को बस तीरगी रह गयी
ताज उल्फ़त की कोई निशानी नहीं
ये अमीरी भी बन दिल्लगी रह गयी
ख़्वाब मुफ़लिस भी है देख लेता मगर
उसके ख़्वाबों में फाकाकशी रह गयी