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बेहतर जगह / रंजना जायसवाल
Kavita Kosh से
स्त्री
जिंदगी भर ढूंढती है
सिर छुपाने की जगह
और अंत तक नहीं मिलती
अपनी हथेलियों से
बेहतर जगह उसे