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बैंड वादक / सुदर्शन वशिष्ठ
Kavita Kosh से
नहीं लड़े उन्होंने कोई युद्ध
नहीं देखी रणभूमि
कभी गाया देश प्रेम का तराना
कभी बजाई मंगलधुन
सजी-सजाई वर्दियों में
हर गणतंत्र दिवस परेड में
किया मार्च पास्ट।
रणभेरी नहीं है इनके पास
नहीं युद्ध का दमामा
कुछ साज हैं अंग्रेजी राज के
जो बजाए जा रहे वर्षों।
दूसरों की खुशी में गाना
गमी में बजाना
इनकी नियति है।