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बैठल सिया मनमारी से रामे रामे / मगही

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मगही लोकगीत   ♦   रचनाकार: अज्ञात

बैठल सिया मनमारी<ref>मन मारकर, उदास</ref> से रामे रामे।
अब सिया रहली<ref>रह गई</ref> कुमारी, से रामे रामे॥1॥
गाइ के गोबर अँगना नीपल<ref>लिपा-पुता</ref>।
मोतियन चौका पुराइ<ref>पूरना, झरना, अल्पना करना</ref> से रामे रामे।
धनुस देलन<ref>दिया</ref> ओठगाँइ<ref>सहारा देकर खड़ा करना, उठँगाना</ref> से रामे रामे॥2॥
दसहिं देस के भूप सब आयल<ref>आये</ref>।
धनुसा देखिये मुरझाइ, से रामे रामे॥3॥
अजोधा नगरिया से राम लछुमन आयल।
धनुसा देखिये मुसकाइ, से रामे रामे॥4॥
गुरु अगेयाँ<ref>आज्ञा</ref> पाइ के रामजी धनुसा उठयलन।
धनुस कइलन<ref>किया</ref> तीन खंड, से रामे रामे।
अब सिय होयतो बियाह, से रामे रामे॥5॥
मुनि सब जय जय बोले, से रामे रामे।
सखी सब फूल बरसाये, से रामे रामे॥6॥

शब्दार्थ
<references/>