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बैल बियावै, गैया बाँझ / 25 / चन्द्रप्रकाश जगप्रिय

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सियारें
आदमी सेॅ कहलकै-
तोहें कोय जानवरोॅ के आँखी पर
चश्मा देखलेॅ छौं?
आँखों पर आँख राखी केॅ
आदमी होय्यो केॅ
आदमिये केॅ ठगै छै।

अनुवाद:

सियार ने
आदमी से कहा-
तुमने किसी जानवर की
आँखों पर चश्मा देखा है?
आँखों पर आँखें डालकर
आदमी होकर
आदमी को ही ठगता है।