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बोझ / सुन्दर नौटियाल

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मेरा जनम होण पर मिठै नि बाँट्या बाबा
भतेरी बांटीन तुमारी मेरा भईयों का होण पर |
नया कपड़ा खरीदणा का चक्कर मा नी पड़या बाबाजी,
पुराणा जुनका होला कैका छोड्या-मोड़यां...
पैराई द्याया मैं अबोध बच्ची पर |
बिछै द्याया कै चुला का किनारा पराळ का चार पुळा
डाळीक एक कामळी, पड़ाळी द्याया मैं तै धुन्वाल्या ओबरा:
दुधा की कमी पडली त चुसै कर्या गुड़ आंगळी पर,
द्वी बुंद मांड डाळी द्याया चमचीन मेरा मुख मा,
अन्नप्रास्नी कु झंझट न जड्यानी कु चक्कर |
जत्क्या कम ह्वे सकु खर्च्या रूप्या अपड़ा,
मेरा बांटा की खुसी भी दी द्याया मेरा भइयों,
बस मैं थैं बोझ नी समझ्या, बाबा मैं बोझ नि समझ्या ||

थोड़ा बड़ा होणा कि देर छ मैं पर... फिर..
लिजै कर्या माँ तैं, मेरा भइयों तैं अपड़ा दगड़ा,
आखिर बच्चा त पडोंण हि छ भै...
मेरु क्या... करै द्याया भर्ती गौं का बेसिक स्कूल मा,
अरे ! कैका बान खुल्युं छ यु स्कूल ये गौं मा ?
नी बतौण्या तुमारा दगड़ा चलण की मेरी इच्छा भी बोनि छन,
समझी जौलु आखिर घर मा दै-दादा कि चाण भी कनी छन |
घर-कुड़ी की शान, दै-दादू की जान बणी रौलु मैं,
घर मा तौं गैली बेटा-ब्वारी समान बणी रौलु मैं |
सेवा-पाणी, दवै-दारु, रोटी-पिंडी मेरा जिम्मा,
डोखरी-पुंगडी देखलु चैन बी पाळी ल्योलु मैं |
मेरी पडै त भगवान वर मेरा भरोसा छोडि जावा,
मेरा भइयों कु ध्यान राख्या द्वी-तीन ट्यूशन लगाया |
मैं थकी-हारीक, पैदल, स्कूल पौंचीक पढ़ी ही ल्योलु,
तुम द्वी कदम पर भइयों तैं स्कूल गाड़ी पर छोड़ी आया ||
मेरी कैसी सिकैत नी, मेरी क्वी मलैत नीछ |
खाणा-लाणा कि क्वे शर्त नी, मेरा कामों की बढैत नीछ |
बस मैं थैं बोझ नी समझ्या, बाबा मैं तैं बोझ नि समझ्या ||