भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

बोलने में / लीलाधर मंडलोई

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज


गोला-बारी के बाद
सन्‍नाटा था
एक अधजले दरख्‍त पर
एक थी-'शीन चिरैया'

जिसके बोलने में
दरख्‍त के रोने की
आवाज आ रही थी