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बोलने में / लीलाधर मंडलोई
Kavita Kosh से
गोला-बारी के बाद
सन्नाटा था
एक अधजले दरख्त पर
एक थी-'शीन चिरैया'
जिसके बोलने में
दरख्त के रोने की
आवाज आ रही थी