बोलाबै छै / कस्तूरी झा 'कोकिल'
बाग बगीचा मंजर महमह मोॅन हुलसाबै छै।
शीतल मंद पवन गमकौवा मोॅन उसकाबै छै।
कोमल किसलय के झुरमुट में
कोयल कुहू-कुहू कूकै।
मतुर विरहिन केॅ दिल दिमाग में
रही-रही आगिन फूकै।
परदेशी केॅ पाती लिख-लिख घोॅर बोलाबै छै
शीतल मंद पवन गमकौवा मोॅन उसकाबै छै।
बाग बगीचा मंजर महमह मोॅन हुलकाबै छै।
फूल-फूल पर तितली नाचै,
भौंरा गुन-गुन गाबै छै,
कली फूल गदगद झूमै छै,
मधुर-मधुर मुस्काबै छै।
कामदेव केॅ महिमा अद्भुत जीव जगत बौराबे छै।
बाग बगीचा मंजर महमह मोॅन हुलकाबै छै।
शीतल मंद पवन गमकौवा मोॅन उसकाबै छै।
सजली धजली सरसों तीसी,
मस्ती में गेहूँ-बाली।
रितु राजा केॅ राज निराला,
कौनें करतै रखवाली?
रजनीगंधाँ, मेंहदी, महुवाँ बुझलोॅ आग जगाबै छै।
बाग बगीचा मंजर महमह मोॅन हुलकाबै छै।
शीतल मंद पवन गमकौवा मोॅन उसकाबै छै।
प्रकृति सुन्दरी केॅ सुन्दरता
देख पथिक ओझराबै छै।
रंग-विरंग केॅ चिड़िया फुदकै
कलरव सुन बौराबै छै।
कमल गोद में मधुकर बेसुध ललकी किरण पुकारै छै।
बाग बगीचा मंजर महमह मोॅन हुलकाबै छै।
शीतल मंद पवन गमकौवा मोॅन उसकाबै छै।
मोॅन बौराबे छै, मोॅन उसकाबै छै, मधु बरसाबै छै।